*_भारत की प्रमुख जनजातियां_*
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अक्सर इस सेक्शन से प्रश्न आते रहते है , और ये काफी महत्वपूर्ण भी है , मैंने आधारभूत परिभाषा व् जानकारी देने के बाद आपको भारत की लगभग सभी जनजातियों के बारे में बताया है इसे समझे व् याद करने की कोशिश करें।
जनजातियों का नाम सुनते ही हम सामान्यतः यह सोचने लगते हैं की जंगल में रहने वाले क्रूर , असभ्य , अशिक्षित समाज , जो इंसानो या पशुओं का भक्षण करते हैं , किन्तु ऐसा कतई नहीं है यह ज्ञान जो हमें मिला है यह फिल्मों या जनश्रुतियों का कमाल है , सभी आदिवासी समूहों को एक समान मानना तर्कसंगत नहीं होगा ,कुछ यायावर , बर्बर हिंसक हो सकते हैं किन्तु सभी नहीं , वास्तविक अर्थों में आदिवासी ओ लोग हैं जो प्रकृति के सानिध्य में रहना चाहते हैं ये प्रकृति से काफी प्रेम करते हैं , और उसे ईश्वर की देंन मानते हैं , कुछ आदिवासी प्रकृति, पेड़ पौधों , जीव जंतुओं को के बारे में इतनी गहन जानकारी रखते हैं की जहाँ पहुंचने में शायद हमें अभी काफी और समय लगेगा । ..
विश्व के काफी सारे प्रदेशों में विभिन्न प्रकार की जनजातियां निवास करती हैं सभी के सांस्कृतिक मूल्य , रहन - सहन , पहनावा अलग अलग हैं जो की इनकी विविधता को दर्शाता है , मानव ने अपने विकास की प्रक्रिया में काफी सारे प्रदेशों को अपने अनुकूल विकसित किया है किन्तु बहुत से प्रदेशों तक उनकी विकास और तकनीक का प्रभाव अभी नहीं पंहुचा है ,
भारत में भी जनजातीय समुदाय के लोगों को 1944 में
डॉ. बी. एस गुहा ने 6 बड़े जबकि 9 छोटे वर्गों में वर्गीकृत किया उनमें से अधिकांश -- नेग्रीटो, ऑस्ट्रेलॉयड और मंगोलॉयड आदि समूहों से संबंधित है ।
1960 में गठित चंदा समिति ने किसी भी जाति या समुदाय को आदिवासी मांनने के लिए प्रमुखतः " 5 मानक " रखें जिनमे -- भौगोलिक एकाकीपन , विशिष्ट संस्कृति , आदिम जाति के लक्षण , पिछड़ापन और संकोची स्वभाव शामिल है। इन सभी आधारों को संज्ञान में रखते हुए उन्होंने बताया की भारत में कुल 461 जनजातियां है , जिनमे 424 अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आती है।
देश की प्रमुख जनजातिय समूहों का विवरण अग्रलिखित हैं - इनको मैंने आपकी सुविधा के लिए समूहों में क्षेत्रवर बनाया है जैसे मैंने सबसे पहले उत्तरी पूर्वी भारत लिया वहाँ के सभी राज्यों की जनजातियों का राज्यवर विवरण दिया है फिर दूसरे क्षेत्र का चयन किया है , ऐसे ही क्रमानुसार मैंने सारे विवरण प्रस्तुत किए हैं ताकि आपको सुविधा हो ,
डॉ. बी. एस गुहा ने 6 बड़े जबकि 9 छोटे वर्गों में वर्गीकृत किया उनमें से अधिकांश -- नेग्रीटो, ऑस्ट्रेलॉयड और मंगोलॉयड आदि समूहों से संबंधित है ।
1960 में गठित चंदा समिति ने किसी भी जाति या समुदाय को आदिवासी मांनने के लिए प्रमुखतः " 5 मानक " रखें जिनमे -- भौगोलिक एकाकीपन , विशिष्ट संस्कृति , आदिम जाति के लक्षण , पिछड़ापन और संकोची स्वभाव शामिल है। इन सभी आधारों को संज्ञान में रखते हुए उन्होंने बताया की भारत में कुल 461 जनजातियां है , जिनमे 424 अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आती है।
देश की प्रमुख जनजातिय समूहों का विवरण अग्रलिखित हैं - इनको मैंने आपकी सुविधा के लिए समूहों में क्षेत्रवर बनाया है जैसे मैंने सबसे पहले उत्तरी पूर्वी भारत लिया वहाँ के सभी राज्यों की जनजातियों का राज्यवर विवरण दिया है फिर दूसरे क्षेत्र का चयन किया है , ऐसे ही क्रमानुसार मैंने सारे विवरण प्रस्तुत किए हैं ताकि आपको सुविधा हो ,
चलिए शुरू करते हैं -- _
=> *अरुणाचल प्रदेश:* अबोर, अक्का, काम्पती, खोभा मिसमी, सिगंपो, सिरडुकपेन, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा,।_
=> असम व नगालैंड: गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर,बोडो, डिमसा नगा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी।_
=> *मणिपुर:* कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा।_
=> *मेघालय:* खासी, जयन्तिया, गारो।_
=> *झारखण्ड:* बिरहोर, गोंड, हो, खरिया,संथाल, असुर, बैगा, बन्जारा, खोंड, मुंडा, कोरवा, सोरिया पहाडिय़ा, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील, भूमिज, मल पहाडिय़ा,।_
=> *पश्चिम बंगाल:* होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा।_
=> *छत्तीसगढ़:* कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर।_
=> *उड़ीसा:* बैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सओरा, मुन्डुप्पतू।_
=> *आंध्र प्रदेश:* चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, खोंड,_ _सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, बाल्मिक।_
=> *कश्मीर:* गुर्जर।_
=> *हिमाचल प्रदेश:* गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल।_
=> *पंजाब:* गद्दी, स्वागंला, भोट।_
=> *उत्तरांचल*: भोटिया, जौनसारी, राजी।_
=> *उत्तर प्रदेश:* बुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी।_
=> *राजस्थान*: सहरिया,मीणा, भील, गरसिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली।_
=> *गुजरात:* कथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोडिय़ा, बदाली, पटेलिया।_
=> *महाराष्ट्र:* भील, गोंड, उरांव, प्रधान, बघरी,अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा,।_
=> *कर्नाटक:* गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा।_
=> *केरल:* कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान,कुरुमान, पनियां, पुलायन, मल्लार, कुरुम्बा।_
=> *तमिलनाडु:* टोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर,मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला।_
=> *अंडमान-निकोबार द्वीप समूह*: औंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपन।_
02. विस्थापन की समस्या
03. गैर आदिवासी जनसंख्या का प्रभाव
04. शिक्षा व् जागरूकता सम्बंधित समस्या
05. लिंग आधारित / महिलाओं से सम्बंधित समस्या
06 सामाजिक सांस्कृतिक विलगाव की समस्या
01. पांचवी पंचवर्षीय योजना से ही जनजातिये उप कल्याण योजना द्वारा समेकित जनजातिये विकास कार्यक्रम
02. नए राष्ट्रीय जनजाति नीति
03. वजन उत्सव 2015 से
04. वनबंधु कल्याण योजना
क्रमशः .........
अब बातें जनजाति से सम्बंधित समस्याओं की :-
01. भूमि पर अधिकारों में आती कमी ,02. विस्थापन की समस्या
03. गैर आदिवासी जनसंख्या का प्रभाव
04. शिक्षा व् जागरूकता सम्बंधित समस्या
05. लिंग आधारित / महिलाओं से सम्बंधित समस्या
06 सामाजिक सांस्कृतिक विलगाव की समस्या
समाधान व् प्रयास :-
01. पांचवी पंचवर्षीय योजना से ही जनजातिये उप कल्याण योजना द्वारा समेकित जनजातिये विकास कार्यक्रम
02. नए राष्ट्रीय जनजाति नीति
03. वजन उत्सव 2015 से
04. वनबंधु कल्याण योजना
क्रमशः .........

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