Wednesday, 17 May 2017

चीन एवं पाकिस्तान के संबंध और उनका प्रभाव :-

चीन एवं पाकिस्तान के संबंध और उनका प्रभाव :- 

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जैसा की हम सभी चीन तथा पाकिस्तान की सदाबहार दोस्ती से भलीभांति परिचित हैं, ये दोस्ती आपसी हितों और अन्य को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्यों से भरी हुई है , जहाँ एक ओर पाकिस्तान भारत को काउंटर करने के उद्देश्य तथा अपने गलत मंशाओं को अंतराष्ट्रीय स्तर  पे बचाने  के उद्देश्यों को लेकर चीन से अपनी दोस्ती को और प्रगाढ़ता प्रदान कर रहा है ताकि उसके गलत नीतियों का अन्तराष्ट्रीय मंचों पे चीन बचाव कर सके , जैसा हाफ़िज़ सईद वाले मामले में सामने आया ,
दूसरी तरह चीन एशिया में केवल अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है किन्तु  उद्देश्यों में  वह भारत एक कड़ा प्रतिद्वंदी  है , चूँकि भारत एक लोकतांत्रिक देश  वह चीन के साम्यवादी और साम्राज्यवादी नीतियों का आवश्यकतानुसार विरोध करता है यह बात चीन को नहीं पचती , अतः वह भारत को परेशान करने और उलझा के रखने के लिए लगातार पाकिस्तान को सपोर्ट करता है ,
हाल में चीन और पाकिस्तान ने काफी सारे विषयों पे करार किया है जिनमे से कुछ ऐसे भी है जो पाकिस्तान के लिए भविष्य में घातक साबित हो सकता है , जिनके सन्दर्भ में जानकारियां अग्रलिखित हैं --


* वन बेल्ट, वन रोड (ओबीओआर) पर बीजिंग में रविवार से शुरू हो रहे सम्मेलन से पहले चीन ने अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान के लिए खजाना खोल दिया है। गुलाम कश्मीर पर भारत की आपत्तियों को दरकिनार कर बीजिंग ने शनिवार को पाक के साथ कई समझौते किए जिससे की भारत चीन संबंधों में कटुता का प्रसार हो सकता है , सिंधु नदी पर पनबिजली परियोजना शुरू करने की भी तैयारी की जा रही है।
* पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके चीनी समकक्ष ली कछ्यांग की मौजूदगी में प्रमुखतः तीन समझौते हुए। 
01 . रेडियो पाकिस्तान के अनुसार कराची-पेशावर के बीच रेल लाइन अपग्रेड करने, 
02 हवेलियां में बंदरगाह निर्माण और ग्वादर में 49 करोड़ डॉलर की लागत से 19 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के निर्माण को लेकर समझौते हुए हैं। 
ओबीओआर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नवाज शुक्रवार को ही बीजिंग पहुंच गए थे। उनके दल में चार प्रांतों के मुख्यमंत्री और पांच केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचने वाला किसी देश का यह सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल है।
03 * अखबार द एक्सप्रेस टिब्यून के अनुसार इस दौरे के दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी पर पनबिजली परियोजना को लेकर भी समझौते की उम्मीद है। 40 हजार मेगावाट पनबिजली का उत्पादन करने के लिए होने वाले इस समझौते में चीन 50 अरब डॉलर (करीब 3209 अरब रुपये) का निवेश करेगा। आर्थिक गलियारे के तहत पाकिस्तान में ऊर्जा, सड़क एवं अन्य आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए चीनी सरकार और बैंक पहले ही 46 अरब डॉलर (करीब 2952 अरब रुपये) का समझौता कर चुके हैं।
* पनबिजली परियोजना के लिए ये  करार होते ही पाकिस्तान में आधारभूत संरचना के क्षेत्र में चीन अबतक का  सबसे बड़ा निवेशक बन जाएगा। अखबार के मुताबिक पाकिस्तान के जल एवं विद्युत विकास प्राधिकरण (वापडा) ने पनबिजली उत्पादन को लेकर एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के मुताबिक पाक के पास 60 हजार मेगावाट पनबिजली उत्पादन की क्षमता है। इसमें से करीब 40 हजार मेगावाट का उत्पादन अकेले सिंधु नदी जलप्रपात क्षेत्र में संभव है।
* यह क्षेत्र गिलगित बाल्टिस्तान के सकारदू से शुरू होकर खैबर पख्तूनख्वा होते हुए पाकिस्तान के सबसे बड़े बांध तारबेला तक फैला है।। इसी क्षेत्र में दियामर भाषा बांध परियोजना के लिए पाक को 15 अरब डॉलर (करीब 963 अरब रुपये) की जरूरत है। परियोजना के लिए बहुपक्षीय कोष हासिल करने में पाक के नाकाम रहने के बाद चीन इसमें भी निवेश को तैयार हो गया है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इसी साल फरवरी में चीन ने सिंधु जल प्रपात क्षेत्र में सर्वे और अध्ययन का काम पूरा किया था।
* पाटन, थकोट, बुंजी, दसाऊ और दियामर में सर्वे और अध्ययन किया गया था। इसके बाद दोनों देशों की बैठक में पनबिजली परियोजनाओं को लेकर समझौते की सहमति बनी थी। चीन के शिनजियांग को पाकिस्तान के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह ग्वादर को जोड़ने वाले तीन हजार किलोमीटर लंबे गलियारे का निर्माण पहले से ही भारत की आपत्तियों को दरकिनार कर किया जा रहा है। चीन की योजना ग्वादर में सैन्य अड्डा बनाने की भी है। हालांकि वह संपर्क और व्यापार बढ़ाने व इलाके में खुशहाली आने का दावा करते हुए लगातार इस परियोजना का बचाव करता रहा है।
* रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक शरीफ ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मुलाकात की। इस दौरान चिनफिंग ने कहा कि सदाबहार रणनीतिक साझेदार के साथ द्विपक्षीय संबंध उनकी शीर्ष प्राथमिकता है। आर्थिक गलियारे के निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने और सुरक्षा व आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर भी दोनों नेता सहमत हुए। शीर्ष स्तर पर संपर्क बढ़ाने पर भी रजामंदी जताई गई।

इन सभी आयोजनों और समझौतों का उद्देश्य केवल इतना है की इसके  माध्यम से चीन एवं पाकिस्तान कहीं न कहीं भारत पे दबाव बनाना चाहते हैं , किन्तु शायद पाकिस्तान इन सब के नकारात्मक प्रभावों को गौर नहीं कर रहा की ऐसा करके वह अपने लिए भविष्य में एक बड़ी समस्या को आमंत्रित कर रहा है क्यूंकि चाइना की अपेक्षा लगातार बढ़ती जाएगी और वह निरंतर पाकिस्तान ने आर्थिक , राजनीतिक , और सामरिक प्रतिस्ठानो पे अपनी पकड़ मजबूत कर लेगा , जिसका भविष्य में प्रभाव काफी खतरनाक भी हो सकता है ।




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