Friday, 2 June 2017

प्राचीन भारतीय इतिहास ,भाग 02-(नोट्स) सारे महत्वपूर्ण प्रश्नों का संकलन -->

प्राचीन भारतीय  इतिहास :- भाग 02 

                                                        Follow us on Google+ for more updates ..===>

सिन्धु घाटी सभ्यता ( Indus Valley Civilization ) 


* उत्पत्ति व् स्वरुप ==>>

● आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व सिन्धु घाटी या हड़प्पा सभ्यता का उदभव ताम्र पाषाणिक पृठभूमि पर भारतीय उप महाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ था।
● सिन्धु घाटी सभ्यता के सम्बन्ध में प्रारंभिक जानकारी 1826 में चार्ल्स मेसन ने दी ।



● वर्ष 1921 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देशन में राय बहादुर दयाराम साहनी ने वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब के मांटगोमरी जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित हड़प्पा नामक स्थल का अन्वेषण करके सर्वप्रथम सिन्धु सभ्यता के साक्ष्य उपलब्ध कराये गए थे।
● सिन्धु सभ्यता के सम्बन्ध में सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थल से साक्ष्य उपलब्ध होने के कारण इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।

काल निर्धारण व् विचार  :==>

● 1931 में सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने सिन्धु सभ्यता की तिथि 3250 ई.पू. से 2750 ई.पू. निर्धारित की गई है।
● रेडियो कार्बन डेटिंग जैसी वैज्ञानिक पद्धति द्वारा सिन्धु सभ्यता की तिथि 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. मानी गयी है।
● रेडियो कार्बन डेटिंग निर्धारण पद्धति की खोज वी. एफ. लिवि द्वारा की गई थी, यह कार्बन की मात्रा जाँचता है ।  
● नवीनतम आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर यह माना गया है की सिन्धु सभ्यता का अस्तित्व लगभग 400-500 वर्षों तक बना रहा साथ ही  2200 ई. पू. से 2000 ई.पू. के मध्य काल तक यह सभ्यता का परिपक्व चरण में था।
● अर्नेस्ट मैके सिन्धु सभ्यता का काल 2800 ई.पू. से 2500. ई. पू. के मध्य निर्धारितकरते हैं, जबकि माधोस्वरूप वत्स 3500 ई. पू. से 2700 ई. पू. के मध्य मानते हैं।


* इतिहासकारों द्वारा निर्धारित तिथियां ==>

● सर जॉन मार्शल 3200 ई.पू. – 2750 ई.पू.
● माधोस्वरूप वत्स 3500 ई.पू. – 2700 ई.पू.
● अर्नेस्ट मैके 2800 ई.पू. – 2500 ई.पू.
● सी. जे. गैड 2350 ई.पू. – 1750 ई.पू.
● मार्टिमर व्हीलर 2500 ई.पू. – 1500 ई.पू.
● फेयर सर्विस 2000 ई.पू. – 1500 ई. पू.*   


● 20वीं सदी के आरंभ तक इतिहासकारों एवं पुरातत्ववेत्ताओं ने यह धारणा थी की वैदिक सभ्यता ही भारत की प्राचीनतम सभ्यता है, किन्तु 1921 और 1922 में क्रमशः हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नमक स्थलों की खुदाई से यह स्पष्ट हो गया की वैदिक सभ्यता से पूर्व भी भारत में एक अन्य सभ्यता भी अस्तित्व में थी।
● मार्टिमर व्हीलर, डी. डी. कौशाम्बी, गार्डन चाइल्ड सहित कई अन्य विद्वानों ने सिन्धु सभ्यता की उत्पत्ति मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता से मानी है।
● रोमिला थापर तथा फेयर सर्विस जैसे विद्वान् सिन्धु सभ्यता की उत्पत्ति ईरानी – बलूची ग्रामीण संस्कृति से मानते हैं , जबकि अमलानंद घोष जैसे विद्वान् सिन्धु सभ्यता की उत्पत्ति सोथी संस्कृति (भारतीय) से मानते हैं।


● प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है।
● अभी तक कुल खोजों में से 3 प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है ।




सभ्यता के सर्वधिक प्रसिद्द स्थल *
● सबसे पश्चिमी स्थल - सुत्कांगेडोर
● सबसे पूर्वी स्थल - अलमगीरपुर
● सबसे उत्तरी स्थल - मांडा
● सबसे दक्षिणी स्थल - दैमाबाद* विस्तार *
● सिन्धु सभ्यता का विस्तार उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने भगतराव तक औरपश्चिम में मकरान तट से लेकर पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर (मेरठ) तक है।
● इस सभ्यता का सम्पूर्ण क्षेत्र त्रिभुजाकार है, जिसका क्षेत्रफल 13 लाख वर्ग किमी. है।
● इस सभ्यता के स्थल भारत और पाकिस्तान में पायें जाते हैं।
● पाकिस्तान में मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, चन्हुदड़ो, बालाकोट, कोटदीजी, आमरी, एवं डेराइस्माइल खां आदिप्रमुख स्थल हैं।
● भारत के प्रमुख स्थल है – रोपड़, मांडा, अलमगीरपुर, लोथल, रंगपुर, धौलावीरा, राखीगढ़ी आदि हैं।
● हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो को स्टुअर्ट पिग्गट ने ‘एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानियां‘ कहा था।* निर्माता *
● सिन्धु घाटी के सभ्यता के निर्माताओं एवं संस्थापकों के सम्बन्ध में हमारी जानकारी केवल समकालीन खंडहरों से प्राप्त मानव कंकाल एवं खोपड़ियाँ हैं।

● प्राप्त साक्ष्यों से पता चलता है की मोहनजोदड़ों की जनसँख्या में चार प्रजातियाँ शामिल थीं।

01. प्रोटो ऑस्ट्रेलॅायड
02.भूमध्यसागरीय
03. अल्पाइन
04.मंगोलॅायड* कुछ विद्वानों के अनुसार इस सभ्यता के निर्माता इस प्रकार थे-पुरातत्ववेत्ता - सभ्यता के निर्माता
● डॉ. लक्ष्मण स्वरुप रामचंद्र - आर्य
● गार्डन चाइल्ड - सुमेरियन
● राखालदास बनर्जी - द्रविड़
● मार्टिमर व्हीलर - दास एवं दस्यु
● मोहनजोदड़ो के लोग मुख्यतः भूमध्यसागरीय प्रजाति के थे।
● अधिकांश विद्वान् इस मत से सहमत है कि द्रविड़ ही सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे।

 नगर नियोजन  व् स्वरुप  ==>

● सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसकी नगर योजना है।
● इनकी नगर योजना में सड़के सीधी एवं नगर सामान्य रूप से चौकोर हो होते थे।
● सड़के और गलियां निर्धारित योजना के अनुसार बनायीं गयी थीं। सड़के एक दुसरे को समकोण पर काटती हुई जाल सी प्रतीत होती थीं।
● आमतौर पर नगरों में प्रवेश पूर्वी सड़क से होता था और जहाँ यह सड़क प्रथम सड़क से मिलती थी उसे ऑक्सफ़ोर्ड सर्कल कहा गया है।  

● जल निकासी प्रणाली सिन्धु सभ्यता की अद्वितीय विशेषता थी, जो अन्य किसी भी समकालीन सभ्यता में प्राप्त नहीं होती है।
● सड़कों के किनारे की नालियां ऊपर से ढकी होती थीं। घरों का गंदा पानी इन्हीं नालियों से होता हुआ नगर की मुख्य नाली में गिरता था।
● नालियों के निर्माण में मुख्यतः ईंटों और मोर्टार का प्रयोग किया जाता था, कहीं कहीं पर चूनेऔर जिप्सम का भी प्रयोग मिलता है।
● भवनों के निर्माण मुख्यतः पक्की ईंटों का प्रयोग होता था, लेकिन कुछ स्थलों जैसे कालीबंगा औररंगपुर में कच्ची ईंटों का भी प्रयोग किया गया है।
● सभी प्रकार की ईंटें निश्चित अनुपात में बनायीं गयीं थीं और अधिकांशतः आयताकार थीं। इनकी लम्बाई, चौड़ाई, और मोटाई का अनुपात 4:2:1 था।
● सिन्धु सभ्यता के प्रायः सभी नगर दो भागों में विभाजित थे –
 पहला भाग प्राचीर युक्त दुर्ग कहलाता था, और 
दूसरा भाग जिसमे सामान्य लोग निवास करते थे उसे निचला नगर कहते थे ,



● सिन्धु सभ्यता में कुछ सार्वजानिक स्थल भी मिले हैं, जैसे – स्नानगृह अन्नागार आदि।
● मोहनजोदड़ों में प्रसिद्द स्थल वहां का विशाल स्नानागार है।
● धौलावीरा एक ऐसा नगर है, जिसमें नगर 3 भागों में विभाजित था।
 मोहनजोदड़ो में विशाल अन्नागार मिला है, जो 45.71 मीटर लम्बा तथा 15.23 मीटर चौड़ा है। संभवतः यह सार्वजानिक स्थल था।
● हड़प्पा में भी इस तरह के अन्नागार मिले हैं, पर वे आकार में छोटे हैं। इनकी लम्बाई 15.23 मीटर तथा चौड़ाई 6.9 मीटर है।*
● घरों का निर्माण सादगीपूर्ण ढंग से किया जाता था। उनमे एकरूपता थी।
● सामान्यतया मकान छोटे होते थे, जिनमे 4-5 कमरे होते थे।
● प्रत्येक घर में एक आंगन. एक रसोईघर तथा एक स्नानागार होता था। अधिकांश घरों में कुँओं के अवशेष मिले हैं।
● कुछ बड़े आकार के भवन भी मिले हैं, जिनमे 30 कमरे बने होते थे। दो मंजिलें भवनों का निर्माणभी कहीं कहीं मिलता है।
● स्वच्छता और सफाई का ध्यान रखते हुए घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर न खुलकर पीछे की और खुलते थे।


राजनीतिक वयवस्था  व् स्वरुप ==>
● सिन्धु सभ्यता की राजनीतिक वयवस्था के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है।
● चूँकि हड़प्पावासी वाणिज्य-व्यापारकी ओर अधिक आकर्षित थे इसलिए ऐसा माना जाता है की संभवतः हड़प्पा शासन व्यापारी वर्ग के हाथों में था।
● हंटर के अनुसार मोहनजोदड़ो का शासन राजतंत्रात्मक न होकर जनतंत्रात्मक था।
● मैके मानते हैं की मोहनजोदड़ो का शासन एक प्रतिनिधि शासक के हाथ में था।
● स्टुअर्ट पिग्गट ने यहाँ पुरोहित वर्ग का शासन माना है।* सामाजिक वयवस्था *
● व्हीलर ने सिन्धु प्रदेश के लोगों के शासन को मध्यमवर्गीय जनतंत्रात्मक कहा है और उसमे धर्म की भूमिका को प्रमुखता दी है।


● मातृदेवी की पूजा तथा मुहरों पर अंकित चित्रों से स्पष्ट होता है कि सिन्धु सभ्यता कालीन समाज संभवतः मातृसत्तात्मक था।
● समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार थी।
● सिन्धु सभ्यता 4 वर्गों में विभाजित थी-1. योद्धा2. पुरोहित3. व्यापारी4. श्रमिक
● श्रमिकों की स्थिति का आकलन करके व्हीलर ने दास प्रथा के अस्तित्व को स्वीकार किया है।

● सिन्धु सभ्यता के लोग सूती और ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
● इस सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन का प्रयोग करते थे।
● स्त्रियाँ सौन्दर्य पर काफी ध्यान देती थीं। काजल, लिपस्टिक, आइना, कंघी आदि के साक्ष्य हड़प्पा सभ्यता में मिले हैं।
● आभूषणों का प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों ही करते थे। आभूषणों में चूड़ियाँ, कर्णफूल, हार, अंगूठी, मनके आदि का प्रयोग किया जाता था।
● हड़प्पाई लागों के मनोरंजन के साधन चौपड़ तथा पासा खेलना, शिकार खेलना, मछली पकड़ना, पशु पक्षियों को लड़ाना आदि थे।
● धार्मिक उत्सव एवं समारोह समय-समय पर धूम-धाम से मनाये जाते थे।
● अमीर लोग सोने चांदी, हाथी दांत के हार, कंगन अंगूठी कण के आभूषण प्रयोग करते थे। 
● गरीब लोग सीपियों, हड्डियों, तांबे पत्थर आदि के बने आभूषणों का प्रयोग करते थे।
● सिन्धु सभ्यता के लोग मृतकों का दाह संस्कार करते थे। मृतकों को जलाने और दफ़नाने दोनों प्रकार के अवशेष मिले हैं।* 

धार्मिक वयवस्था व् स्वरुप  ===>>

● सिन्धु सभ्यता के लोगों की धार्मिक मान्यता के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है, फिर भी मूर्तियों, मृदभांड आदि के अधर पर इनका अनुमान लगाया जाता है।
● इस सभ्यता के लोगों का धार्मिक दृष्टिकोण का आधार लौकिक तथा व्यवहारिक था।
● मूर्तिपूजा का आरंभ संभवतः सिन्धु सभ्यता से ही माना जाता है।
● सिन्धु सभ्यता के लोग मातृदेवी, पुरुष देवता (पशुपति), लिंग-योनि, पशु, जल आदि की पूजा करतेथे।
● मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर तीन मुख वाला पुरुष ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ है। उसके सर पर तीन सींग है। 

धन्यवाद ...... ऐसे ही साथ बनाये रखें । . 

Join our FB group also - ' BPSC Mentor ' ,Or  ' CTET MENTOR '..

No comments:

Post a Comment